“A pivot point is a technical analysis indicator used to determine the overall trend of the market over different time frames. The pivot point is simply the average of the high, low and closing prices from the previous trading day. When prices are trading above the pivot point it indicates ongoing bullish sentiment, while trading below the pivot point indicates bearish sentiment”
Pivot points are used strategically to catch support and resistance points, thus, helping in identifying areas where reversal of price movement is possible. Support and resistance points attract the maximum amount of buying and selling.
As the name suggests, the support is something that prevents the price from falling further. The support level is a price point on the chart where traders expects maximum demand (in terms of buying). While resistance level is a price point that prevents price from rising further and hence acts as a maximum selling point.
Pivot table consists of :
- Pivot point - P
- Support - S1, S2, S3
- Resistance - R1, R2, R3
- If the stock opens above P and crosses R1, then one can buy with the target set as R2.
- If the stock opens below P and crosses S1, then one can short with the target set as S2.
- The key thing to remember though is that these are purely intraday levels and change every day when there are new closing prices for the day.
Time Frames in Pivot Points
- Intra-day Pivot Points - Plotted on 1 min, 3 min, 5 min, 10 min & 15 min chart using previous day’s High (H), Low (L) and Close (C)
- Weekly Pivot Points - Plotted on 30 min & 1 hour chart based on previous week’s H, L and C
- Monthly Pivot Points - Plotted on 4 hour & Daily chart based on previous month’s H, L and C
How traders use Pivot Points?
The pivot point sets the general tone for price motion. A move above the pivot point (P) indicates strength with a goal to reach the primary resistance, R1. A smash above first resistance suggests even more strength with a goal to the second resistance level, R2.
Similarly, a move below the pivot point shows weakness with a target to S1. A break below S1 shows even more weakness.
To Conclude
The pivot point (P) acts as the primary support or resistance indicator and therefore, the price movement at this point will be highest. Traders use pivot points with the following objectives:
- Overall trend determination
Like we mentioned before, a downward movement will indicate bearish and upward movement is sign for bullish.
- Deciding Entry & Exit
Traders decide based on the pivot point, when and where to enter or exit the market. For instance, if you see that the price is breaking at resistance level (R1) then I will put a limit order to buy 500 shares. If the same trend applies to support level (S1) then I will set a stop-loss.
So, you see that pivot point technique is very efficient and is useful for traders to predict market movement. But how far you succeed in capitalising this depends on how well you can use this with other technical indicators.
“पिवोट पॉइंट एक तकनीकी सूचक (टेक्निकल इंडिकेटर)है, जो विभिन्न समय सीमाओं पर बाजार की ट्रेंड को निर्धारित करता है। पिवट पॉइंट पिछले कारोबारी दिन से उच्च (हाई), निम्न (लौ) और समापन (क्लोज) कीमतों का औसत (एवरेज) है। जब कीमतें पिवट पॉइंट से ऊपर कारोबार करती हैं तो यह उत्साहजनक संकेत दर्शाता है, जबकि पिवट पॉइंट से नीचे का व्यापार मंदी की भावना दर्शाता है।”
पिवोट पॉइंट सपोर्ट और रेजिस्टेंस पॉइंट को पकड़ने में मदद करता है, जहां से कीमतों में बदलाव संभव हो सकता है। सपोर्ट और रेजिस्टेंस पॉइंट खरीदी और बिक्री की अधिकतम राशि को आकर्षित करता हैं।
जैसा कि नाम से पता चलता है, सपोर्ट कुछ ऐसा होता है जो कीमतों को आगे गिरने से रोकता है। सपोर्ट चार्ट पर एक मूल्य पॉइंट है जहां व्यापारियों को अधिकतम मांग (खरीदी के संदर्भ में), की अपेक्षा होती है। जबकि रेजिस्टेंस एक मूल्य पॉइंट है जो कीमत बढ़ने से रोकता है जहां व्यापारियों को अधिकतम बिक्री की अपेक्षा होती है।
पिवोट टेबल में निम्न शामिल हैं:
- पिवोट पॉइंट - P
- सपोर्ट - S1, S2, S3
- रेजिस्टेंस - R1, R2, R3
- यदि शेयर पिवोट पॉइंट - P के ऊपर खुलता है और R1 को पार करता है, तो R2 का टारगेट रखकर हम खरीद सकते हैं ।
- यदि शेयर P के नीचे खुलता है और S1 को पार करता है, तो S2 के रूप में निर्धारित टारगेट रखकर हम बेच सकते हैं।
- यद्यपि प्रमुख बात यह है कि ये पूरी तरह से इंट्रा-डे लेवल्स हैं, जो रोज़ बदलते हैं।
पिवोट पॉइंट्स में समय फ़्रेम :-
- इंट्रा-डे पिवोट पॉइंट्स - 1 मिनट, 3 मिनट, 5 मिनट, 10 मिनट और 15 मिनट के चार्ट पर पिछले कारोबारी दिन के उच्च (हाई), निम्न (लौ) और समापन (क्लोज) कीमतों का उपयोग करते हुए प्लॉट किए जाते हैं।
- साप्ताहिक पिवोट पॉइंट्स - पिछले हफ्ते के उच्च (हाई), निम्न (लौ) और समापन (क्लोज) के आधार पर 30 मिनट और 1 घंटे के चार्ट पर प्लॉट किए जाते हैं ।
- मासिक पिवोट पॉइंट्स - पिछले महीने के उच्च (हाई), निम्न (लौ) और समापन (क्लोज) के आधार पर 4 घंटे और दैनिक चार्ट पर प्लॉट किए जाते हैं।
ट्रेडर्स पिवोट पॉइंट्स कैसे इस्तिमाल करते हैं ?
पिवोट पॉइंट् मूल्य गति के लिए सामान्य टोन सेट करता है। पिवट पॉइंट् के ऊपर एक कदम, प्राथमिक रेजिस्टेंस (R1) तक पहुंचने पर कीमतों में ताकत दिखाई देती हैं। और पहले रेजिस्टेंस (R1) को पार कर दूसरे रेजिस्टेंस (R2) के लक्ष्य के साथ कीमतों में अधिक ताकत का सुझाव आता हैं।
उसी प्रकार पिवोट पॉइंट् के नीचे कीमतें सपोर्ट (S1) के लक्ष्य के साथ कमजोर दिखाई देती है।और जब कीमतें S1 को ब्रेक कर के निचे जाती हैं तो और भी कमजोरी दिखाई देती हैं।
समाप्त करने के लिए
पिवोट पॉइंट् (P) प्राथमिक सपोर्ट या रेजिस्टेंस संकेतक के रूप में कार्य करता है और इसलिए, इस पॉइंट् पर कीमतों की मूल्य गति उच्चतम होगी। व्यापारी निम्नलिखित उद्देश्यों के साथ पिवोट पॉइंट् का उपयोग करते हैं:
- समग्र ट्रेंड निर्धारण
जैसा कि हमने पहले भी उल्लेख किया है, पिवोट पॉइंट के नीचे मंदी का संकेत है, ओर ऊपरी आंदोलन तेजी का संकेत है।
- प्रवेश और बाहर निकलने का निर्णय लेना
व्यापारी पिवोट पॉइंट् के आधार पर बाजार में कब और कहां प्रवेश करें या बाहर निकलें यह फैसला करते है। उदाहरण के लिए, अगर आपको लगता है कि कीमत रेजिस्टेंस स्तर (R1) को तोड़ रही है तो आप खरीदने के लिए एक सीमा आदेश (लिमिट आर्डर) लगाएं। समान प्रवृत्ति में सपोर्ट स्तर (S1) पर स्टॉप-लॉस सेट करें। आप देख सकते हैं कि पिवोट पॉइंट् तकनीक व्यापारियों के लिए बहुत प्रयोज्य और सहायक है जो बाजार आंदोलन की भविष्यवाणी करने के लिए उपयोगी है। लेकिन आप इसका प्रयोग करने में कितना सफल होते हैं यह निर्भर करता है कि आप इसे अन्य तकनीकी संकेतकों (टेक्निकल इंडीकेटर्स) के साथ कैसे उपयोग करते हैं।